♦️ शब्द पुष्पांजलि: मालवांचल के ज्येष्ठ और श्रेष्ठ पत्रकार श्री जैन का निधन
● डॉ घनश्याम बटवाल, मंदसौर
बीती सर्द रात क़लम के धनी और जागरूक वरिष्ठ पत्रकार श्री शांतिलाल जैन की सांसें रुक गई और खबरों का सिलसिला थम गया ।
शुक्रवार अंतिम संस्कार भी होगया, अंतिम यात्रा में विभिन्न वर्गों – धर्मों और कई स्थानों के प्रबुद्ध और आत्मीय जनों ने भावपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर श्री जैन के व्यक्तित्व के कई पन्ने सामने रखकर याद किया ।
जीवन भी और मृत्यु भी दोनों सत्य है, सांसें रुकती है समय नहीं यह भी यथार्थ है । अगर मालवांचल के वरिष्ठ पत्रकार श्री शांतिलाल जैन की जीवन यात्रा को देखें तो यह निष्कर्ष स्पष्ट होता है कि केवल पत्रकारिता ही नहीं हर क्षेत्र में उन्होंने न्याय ही किया, यह लेखक उनके साथ व्यतीत तीन दशकों से अधिक कालखंड के आधार पर प्रस्तुत कर रहा है ।
कहा जाता है कि व्यक्तित्व का मूल्यांकन परलोकगमन के बाद ही क्यों होता है ? यह सामाजिक दुष्चक्र ही कहा जायेगा, हकीकत में तो 84 वर्षीय श्री जैन को सामाजिक – सार्वजनिक – सांस्कृतिक – साहित्यिक – प्रशासनिक – ओद्योगिक और पत्रकारिता क्षेत्रों में सम्मान प्राप्त हुआ और निरंतर बना रहा । नजदीकी क्षेत्रों में वरिष्ठता पर उन्हें “दादा” संबोधित किया जाता रहा ।
लेखक को भी पत्रकारिता क्षेत्र में लिखते – पढ़ते कोई चार दशकों से अधिक होगये और आज भी क्रम जारी है । हमारे पत्रकारिता प्रवेश पर श्री शांतिलाल जैन, स्वतंत्रता सेनानी पत्रकार श्री केशव प्रकाश विद्यार्थी, श्री राजमल लोढ़ा, श्री मदनलाल जोशी, श्री मदनकुमार चौबे, श्री सौभाग्यमल जैन , श्री रामप्रसाद भारद्वाज, श्री प्रकाश उपाध्याय, श्री मांगीलाल पोरवाल, श्री मंगल मेहता, श्री मांगीलाल सोनी, पंडित शिवनारायण गौड़, श्री गोपाल खंडेलवाल, श्री कैलाश पाठक, श्री बाबूलाल माली विषपायी, श्री बी सी दासानी, श्री गुलाबचंद सेठी, श्री प्रकाश मानव, श्री पी मोतीलाल शर्मा, श्री मिर्जा मोहम्मद बेग आदि के साथ वरिष्ठ पत्रकार श्री सुरेंद्र लोढ़ा, श्री विक्रम प्रकाश विद्यार्थी, श्री पारसमल लोढ़ा, श्री महावीर अग्रवाल, श्री सुभाष ओझा, श्री वल्लभ फरक्या, श्री अशोक झलोया, श्री आर वी गोयल, श्री अजीत कांठेड़, श्री सुजानमल अग्रवाल मल्हारगढ़, श्री सुरेंद्र सेठी, श्री शौकीन जैन, श्री एस पी व्यास, श्री रमेश ओझा सहित पत्रकारों, लेखकों का समर्थन, सहयोग और मार्गदर्शन मिला । वर्तमान पीढ़ी का सहयोग भी निरंतर मिल रहा है ।
वरिष्ठ पत्रकार दादा श्री शांतिलाल जैन की गुणग्राहकता रही कि वे संभावना को जल्द परख यथासंभव मार्गदर्शन करते थे । वे स्वयं बड़े और जागरूक पत्रकार रहे अंचल के हितकल्याण और हित संरक्षण के लिये साथ भी रहे, आगे भी रहे और परदे के पीछे भी । नेतृत्व और मार्गदर्शन पत्रकारों ही नहीं राजनेताओं, समाजजनों का भी करते रहे ।
कौन सी ख़बर महत्वपूर्ण है ओर कौनसी सामान्य, उनके खबरों को देखने – लिखने का अपना अंदाज़ रहा
वे इंदौर समाचार प्रतिनिधि होने के साथ न्यूज़ एजेंसी यूनिवार्ता, यूएनआई के संवाददाता भी रहे इसके अलावा वे तत्कालीन नेशनल मीडिया में स्थापित ब्लिट्ज़, करंट, संडे मेल आदि से भी संबद्ध रहे । कई खबरें तो इंटरनेशनल लेवल पर बीबीसी में भी प्रसारित हुई । आकाशवाणी में भी वार्ता और जिले की चिट्ठी प्रसारित हुई ।
वह समय स्मरण आता है जब नईदुनिया के श्री विक्रम विद्यार्थी, नवभारत और पीटीआई के श्री महावीर अग्रवाल, दैनिक भास्कर के श्री अशोक झलोया, श्री पुष्पराज सिंह राणा, दैनिक विश्वभ्रमण और फ्रीप्रेस के डॉ घनश्याम बटवाल, दैनिक अवन्तिका के श्री वल्लभ फरक्या व लोकल दैनिक अखबारों में प्रतिस्पर्धा रहती थी, सभी पत्रकार साथ साथ काम करते इवेंट कवर करते परन्तु खबरें क्लिक करने में अक्सर दादा श्री जैन अग्रणी रहा करते, यह हमेशा नहीं होता कई बार अन्य प्रतिनिधि भी अपनी बढ़त और प्रस्तुति से प्रभावित करते रहे ।
इसे आज के संदर्भ में देखें तो तब केवल खबरों की प्रतिस्पर्धा रही संबंध सबके पारिवारिक और आत्मीयता पूर्ण रहे जो अंत समय तक सबसे बने रहे ।
यह नई पीढ़ी के लिये उत्तम उदाहरण है ।
मंदसौर में स्थापित हॉर्टिकल्चर कॉलेज (तब कृषि महाविद्यालय) को लाने में दादा श्री जैन के साथ तत्कालीन मीडिया और जनप्रतिनिधियों की अहम भूमिका रही । नशामुक्ति अभियान में, बांछड़ा समुदाय और स्लेट पेंसिल उद्योग, कंजरों, मादक द्रव्यों तस्करी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर क़लम भी चलाई और शासन – प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के समक्ष पुरजोर ढंग से उठाया भी, पत्रकारों का साथ उन्हें मिलता रहा ।
एक वाकया स्मरण आता है जब तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह मंदसौर आये उनसे मिलने सर्किट हाउस पर पत्रकारों के साथ दादा श्री जैन भी गये, परन्तु अकारण ही प्रशासन ने मुख्यमंत्री से मिलने में अड़चन खड़ी की तो दादा के नेतृत्व में पत्रकारों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए बहिष्कार के बारे में बताया, यह सूचना तत्कालीन गृहमंत्री श्री भारतसिंह जावरा को लगी, स्थिति की गंभीरता समझ गृहमंत्री स्वयं पत्रकारों से मिले और तत्काल मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह से मुलाकात कराई । मुख्यमंत्री ने स्वयं पत्रकारों से खेद व्यक्त किया ।
एकबार तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोतीलाल वोरा मंदसौर आये तब दादा श्री जैन, श्री विक्रम प्रकाश विद्यार्थी के आग्रह पर दशपुर कुंज समीप नगर पालिका क्वार्टर जैसे छोटे से स्थान पर पत्रकारों से मिलने पहुंच गये ।
प्रेस के माध्यम से दादा श्री जैन एवं वरिष्ठ जनों ने परंपरा विकसित की की कोई भी वीआईपी मंदसौर आएं तो प्रेस क्लब / मीडिया सेंटर पर भेंट करेंगे और वीआइपी मंत्री या कोई अन्य निर्धारित समय बाद 15 मिनट प्रतीक्षा करेंगे, उसके पश्चात पत्रकार उपलब्ध नहीं रहेंगे । इसका पालन वर्षों तक होता रहा ।
वे न केवल अच्छा लिखते थे, बल्कि किसी अन्य पत्रकार साथी की अच्छी रिपोर्ट को भी देखते और बधाई देते । लेखक को जब प्रथम बार राज्य स्तरीय पंडित माखनलाल पत्रकारिता पुरस्कार तत्कालीन जनसंपर्क मंत्री श्री रविंद्र चौबे, पद्मश्री श्री विजयदत्त श्रीधर के हाथों रतलाम में 14 मार्च 1999 में मिला तब सबसे पहले आशीर्वाद और बधाई दादा श्री जैन ने ही दी । रेडक्रॉस सोसायटी मध्यप्रदेश द्वारा राज्यपाल डॉ भाई महावीर के माध्यम से उत्कृष्ट सेवा प्रमाण पत्र मिलने पर भी दादा श्री जैन ने उत्साहवर्धन किया ।
मंदसौर में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक श्री वेदप्रकाश शर्मा के साथ मिलकर जिले में नशा मुक्ति अभियान और नशा निवारण शिविर के आयोजन भी किये, पुलिस पत्रकारों की यह अभिनव पहल रही इसके लाभदायक परिणाम मिले ।
अंचल की समस्याओं के बारे में ओर उनके समाधान के बारे में भी उनकी गहरी समझ रही वे खबरों के माध्यम से मुद्दों को उठाते रहे ओर इसके साथ प्रशासन में कलेक्टर पुलिस अधीक्षक एवं वरिष्ठ अधिकारी सम्पर्क के साथ लाभ प्राप्त करते थे ।
सन 1965 – 67 के दौरान हुई होली अवसर पर हुई हिंसा और साम्प्रदायिक सौहार्द्र पर प्रभाव पड़ा था तत्कालीन कलेक्टर डी वाय मनव्वर के समक्ष दादा श्री जैन, श्री राजमल लोढ़ा, पंडित रामनारायण शर्मा सहित अन्य ने हस्तक्षेप किया, बताया जाता है कि प्रशासन और पुलिस ने ज्यादती करते हुए बलप्रयोग किया था इस वजह से वातावरण प्रभावित हुआ था । ऐसे में मीडिया ने स्थिति को सामान्य बनाने में पहल की । ऐसे कई अवसर आये जब मीडिया ने सकारात्मक भूमिका निर्वहन की ओर समाज व प्रशासन के साथ मिलकर विपरीत परिस्थितियों को संभाला ।
यहां उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि पांच दशकों में श्री राजमल लोढ़ा, श्री सौभाग्यमल जैन, श्री बी सी दासानी ,श्री हेमेंद्र त्यागी, श्री विक्रम विद्यार्थी, श्री महावीर अग्रवाल आदि के साथ अग्रणी रूप से दादा श्री जैन की सभी क्षेत्रों और समाजों में स्वीकार्यता रही और उनकी बातों में वज़न रहा, राजनीति अपनी जगह होती पर पत्रकारों के तर्कों और तथ्यों को बराबर महत्व मिलता रहा ।
एग्रो सांईंटिस्ट श्री नरेन्द्र सिंह सिपानी और श्री महेश शर्मा के साथ मिलकर पेस्टीसाइड्स क्षेत्र में नया उपक्रम माइक्रो केमिकल्स इकाई शुरू की और तीनों ने उसे राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर दिया ।
प्रदेश के मंत्री रहे और राष्ट्रीय कवि साहित्यकार, लोकसभा और राज्यसभा के सांसद रहे श्री बालकवि बैरागी के साथ दादा श्री जैन के बेहद नजदीकी संबंध रहे, पारिवारिक होने के साथ साहित्य और मीडिया रिश्ते भी बराबर बने रहे इसके लाभ मंदसौर नीमच के साथ प्रदेश व देश को मिले ऐसे प्रयास करते रहे । साहित्यकार संसद के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर के साहित्यिक आयोजन और गतिविधियों को लंबे अरसे तक संचालित किया जाता रहा ।
पुलिस जवान द्वारा उन्मत्त होकर गोलीचालन किये जाने से मारे गए निरपराध लोगों एवं परिवारों की सहायता के लिये के के नायकर म्यूजिक नाईट आयोजित कराई और पीड़ितों की मदद की ।
वे सामाजिक रूप से भी सक्रिय रहे । युवराज क्लब और ऑफीसर्स क्लब में वे बैडमिंटन भी खेला करते थे । लेखक के साथ भी वे श्री विष्णु तुगनावत, डॉ सागरमल पामेचा, श्री शशिकांत गर्ग, डॉ पी के भट्ट, श्री कांत गुप्ता, डॉ अभय शुक्ला, श्री राजू शुक्ला, श्री हरी शर्मा आदि के साथ खेलते रहे ।
जिला प्रेस क्लब, दशपुर प्रेस क्लब, श्रमजीवी पत्रकार संघ, आंचलिक पत्रकार संघ सहित अन्य संगठनों ने दादा श्री शांतिलाल जैन का सम्मान किया और उनके महत्व को हमेशा रेखांकित किया है ।
एक विशेष बात अस्सी से दो हजार के दशकों के दौरान दादा की उपस्थिति में पत्रकारों, प्रशासन राजनीति में अनुशासन और धाक बनी रही ।
सम्मान पत्र भेंट करते हुए दादा श्री जैन के लिये लिखा गया है कि मंदसौर जिले की स्वस्थ समृद्ध व मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता की परंपरा में आपका योगदान अत्यंत उल्लेखनीय है । आपने हमेशा दीर्घ अनुभव, निष्ठा तथा समर्पण से पत्रकारिता जगत को गौरवांवित किया है ।
दादा श्री जैन के सुदीर्घ पत्रकारिता कार्यकाल में कोई तीन दर्जनों से अधिक कलेक्टर एसपी आईजी कमिश्नर सहित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ कार्य किया, राजनीतिक क्षेत्रों की लिस्ट तो ओर बड़ी और लंबी रही है ।
जनसंपर्क विभाग के साथ भी उनके मित्रवत और गरिमापूर्ण संबंध रहे ।
श्री वी डी शर्मा, श्री भरत नायक, श्री बसंत प्रसाद दुबे, श्री सुरेश तिवारी, श्री सुरेश गुप्ता, श्री मंगला प्रसाद मिश्रा, श्री राजा दुबे, श्री चंद्रशेखर साकल्ले, श्री गुरमीत वाधवा, श्री सुनील सिलावट, श्री निर्मल शर्मा, श्री घनश्याम सिरसाम, श्री ब्रजेन्द्र शर्मा, श्री ईश्वर चौहान आदि के पीढ़ी बदलने के बाद भी संवाद और संपर्क बना रहा है ।
ऐसे ज्येष्ठ और श्रेष्ठ पत्रकार लेखक दादा श्री शांतिलाल जैन के निधन पर अंचल की पत्रकारिता में अपूरणीय रिक्तता होगई है । अंतिम दौर में वे अस्वस्थता के कारण कष्ट में रहे चिकित्सा और उपचार के बाद सुधार नहीं हुआ और वे हमारे बीच से विदा होगये । उनकी स्मृतियों को याद करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं ।