राज्यशिक्षा/प्रौधोगिकी

फसलों में रासायनिक खाद की जरूरत कम हो और पैदावार अच्छी हो यह आवश्यक – राज्यसभा सांसद श्री गुर्जर

किसान सम्मेलन में प्रशिक्षण केन्द्र और पूसासिपानी बीज विक्रय केंद्र का शुभारंभ हुआ

● मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौरमध्य प्रदेश का मालवा सोयाबीन उत्पादन के लिए पूरे देश में जाना जाता है लेकिन लगातार खरपतवार नाशक दवाइयां के इस्तेमाल करने से उत्पादन पर भी असर हो रहा है और जमीन पर भी रासायनिक प्रभाव बढ़ता जा रहा है इसलिए अभी क्षेत्र में सोयाबीन के शोध का महत्व बढ़ गया है और ऐसे बीजों की आवश्यकता महसूस की जा रही है जिसमें कम से कम वीड़ीसाइड्स का इस्तेमाल हो यह बात राज्यसभा सांसद श्री बंशीलाल गुर्जर ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली ( IARI – ICAR )के संयुक्त शोध केंद्र सिपानी कृषि अनुसंधान फॉर्म चांगली मन्दसौर में आयोजित मंगलवार को स्थापना दिवस अवसर के विशाल किसान सम्मेलन में कही।

क्षेत्र के नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद एवं राष्ट्रीय किसान नेता श्री गुर्जर ने कहा कि मालवा – मेवाड़ और निमाड़ आदि इलाकों की जलवायु के अनुकूल होने वाली उपज में सुधार और गुणवत्तापूर्ण पैदावार के लिए एग्रो साइंटिस्ट शोध कार्य करें ताकि किसानों को लाभ मिले। आपने बताया कि बीते सालों में मौसम की मार से रबी ओर खरीफ़ की फसलें प्रभावित हुई है ऐसे में बीज किस्मों ओर पौधों की प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि हो। मन्दसौर और आसपास क्षेत्र में मसाला फसलें और ओषधि फसलें की अच्छी पैदावार है इसे बढ़ाने की जरूरत है।

इंटरनेशनल एग्रो साइंटिस्ट एवं भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र संयुक्त निदेशक (अनुसंधान ) डॉ विश्वनाथन सी ने किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सेंट्रल इंडिया में सिपानी कृषि अनुसंधान फॉर्म के साथ जुड़कर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली लगातार रबी और खरीफ की फसलों पर काम कर रहा है सिपानी कृषि अनुसंधान फॉर्म ने अपने शोध में जो उन्नत किस्म तैयार की है वह आज देश भर के किसानों द्वारा बोई जा रही है जिससे इस केंद्र का महत्व और अधिक बढ़ जाता है इसी को ध्यान में रखते हुए सिपानी कृषि अनुसंधान फॉर्म पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा किसान प्रशिक्षण केंद्र बीज वितरण केंद्र और बीज भंडार ग्रह का निर्माण कराया गया है उन्होंने उम्मीद जताई की क्षेत्र के किसान इस शोध केंद्र से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करेंगे।

डॉ विश्वनाथन ने कहा कि भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ है और सामान्य व संकटकाल में विदेशों को निर्यात कर रहा है। देश के प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री का फ़ोकस किसानों को सक्षम और समृद्ध बनाने का है इस दिशा में विभिन्न उपज पर निरंतर शोध प्रक्रिया जारी है ,अनुसंधान से पैदावार बढ़ाने पर काम हो रहा है।
आवश्यकता अनुसार सेंट्रल इंडिया के सिपानी अनुसंधान केन्द्र मन्दसौर पर आईएआरई एवं आईसीऐआर भारत सरकार नई दिल्ली माध्यम से संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि दूरस्थ और ग्रामीण अंचल के कृषकों को लाभ मिल सकेगा।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक और संयुक्त शोध केंद्र नोडल अधिकारी डॉ अक्षय तालुकदार ने कहा कि सीपाणी कृषि अनुसंधान केंद्र पर पिछले तीन दशकों में गेहूं मक्का अरहर और सोयाबीन पर कई तरह के शोध हुए हैं और इसकी शरबती गेहूं की नई किस्म मोहन वंडर का विकास संभव हो पाया है मोहन वंडर आज देश भर में 20 लाख हेक्टेयर से अधिक भूभाग पर बोई जाती है।
डॉ तालूकदार ने बताया कि क्षेत्रीय मानकों के मुताबिक फसलों पर शोध कर उन्नत प्रजातियों का विकास होरहा है भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र नई दिल्ली द्वारा मोनिटरिंग और ट्रेनिंग से लाभ मिल रहा है। आपने कहा सुरक्षा में सेना के वीर लगे हैं तो खाद्यान्न उत्पादन में किसान वीर जुटे हैं, इनका योगदान कम नहीं है।

सम्मेलन में जनपरिषद जिला संयोजक एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल ने कहा कि किसानों को बीजों की प्रामाणिकता बहुत अहम है, खराब क्वालिटी का बीज किसानों के श्रम, फ़सल और लागत को बुरी तरह प्रभावित करता है। गुणवत्तापूर्ण टेस्टेड सीड अच्छी पैदावार की गारंटी होता है। मन्दसौर तथा आसपास के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र नई दिल्ली के प्रमाणित बीज उपलब्ध होंगे।
आपने छह वर्ष पूर्व स्थापित सिपानी कृषि अनुसंधान केंद्र के स्थापना दिवस पर बधाई दी।

सिपानी कृषि अनुसंधान मंदसौर निदेशक श्री नरेंद्रसिंह सिपानी ने स्वागत उध्बोधन में कहा कि मक्का पर अनुसंधान के लिए टेस्टिंग लेबोरेटरी स्थापना और अंचल के किसानों, युवाओं, शोधकर्ताओं के लिए सीड प्रोडक्शन, सीड प्रोसेसिंग के साथ टेस्टिंग टेक्नोलॉजी सर्टिफिकेट कोर्स आरम्भ किये जाने की आवश्यकता है। इसके आधार पर एग्रो रेवोल्यूशन तैयार हो सकेगा।

आपने तीन दशकों से अधिक की कृषि अनुसंधान कार्यक्रम की जानकारी दी और भारत सरकार के कृषि अनुसंधान संस्थान के सहयोग को महत्वपूर्ण बताया।

फ़िल्म डायरेक्टर प्रदीप शर्मा ने संचालित खेती और किसानों से सम्बंधित एग्रीकल्चर आधारित न्यूज़ एवं यू ट्यूब चैनल की जानकारी दी।
श्री शर्मा ने बताया कि मंदसौर के इस केंद्र से 30 हजार से अधिक किसान लाभान्वित हो रहे हैं।

अतिथियों का परिचय सिपानी कृषि अनुसंधान फॉर्म के रिसर्च एसोसिएट डॉक्टर रामराज सेन ने दिया।
इस मौके पर बड़ी संख्या में किसान जिले के गणमान्य नागरिक और युवा उपस्थित थे आभार मैनेजिंग डायरेक्टर हिमांशु सीपानी ने व्यक्त किया। संचालन वरिष्ठ कवि और साहित्यकार प्रमोद रामावत “प्रमोद” ने किया।
स्वागत गीत – संगीत के साथ असद अंसारी हूर बानो सैफ़ी एवं दल द्वारा प्रस्तुत किया गया।

इस अवसर पर प्लांट वेरायटी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, ट्रेनिंग कोर्स शेड्यूल पुस्तिकाओं का विमोचन अतिथियों ने किया
किसान प्रशिक्षण केन्द्र एवं सभागृह, पूसा सिपानी बीज विक्रय केंद्र का उद्घाटन किया गया। अनुसंधान की विशेष प्रदर्शनी का फीता अतिथियों ने काटा ओर किसानों और गणमान्य ने अवलोकन किया।
आरम्भ में माता सरस्वती चित्र पर माल्यार्पण व दीप दीपन किया।

सिपानी कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से अतिथियों के साथ संस्था के वरिष्ठ कर्मचारी श्री अशोक जी को सम्मानित किया।
किसान सम्मेलन एवं उद्घाटन समारोह में श्री विक्रम विद्यार्थी, डॉ एस एम पामेचा, प्रदीप शर्मा, श्रीमती उर्मिला तोमर, अनिल सुराणा, राव विजयसिंह, बंशीलाल टांक, अजय सिंह चौहान, विकास भंडारी, प्रकाश एलचिवाला, अरुण गौड़, रमेश चंद्र चंद्रे, कन्हैयालाल सोनगरा, नंदकिशोर राठौड़, नरेंद्र त्रिवेदी, सुभाष एलचिवाला, संजय भारती, राजेश दुबे, चिमनसिंह जाट, जतिन सिपानी, आरती तिवारी, नवीन जैन, श्रीमती अल्का सिपानी, कैलाश चंद्र पांडेय, राजकुमार अग्रवाल, विनोद पाटीदार, इंजीनियर एस पी सिंह के अलावा मन्दसौर नीमच, सैलाना, उदयपुर, दलौदा सहित बड़ी संख्या में कृषक प्रतिनिधि ग्रामीण एवं अन्य उपस्थित थे।

¶  एग्रो साइंटिस्ट डॉ विश्वनाथन एवं डॉ अक्षय तालुकदार ने सिपानी कृषि फॉर्म पर विभिन्न किस्मों के वैरायटी प्लांट का निरीक्षण करते हुए विस्तार से जानकारी प्राप्त की।
गेंहू, मक्का सहित अन्य किस्मों की बढ़वार, यील्ड, गुणवत्ता आदि के बारे में कृषि वैज्ञानिक श्री सिपानी एवं डॉ रामराज सेन ने बताया।

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