Hospital Stocks: हेल्थकेयर इंडस्ट्री में भारी उथलपुथल, गिर रहे अस्पताल चलाने वाली कंपनियों के शेयर
<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;"><strong>Healthcare Companies Share:</strong> हेल्थकेयर सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में गिरावट का सिलसिला जारी है. अस्पताल और हेल्थकेयर कंपनियों के शेयर पिछले दो कारोबारी सत्रों से लुढ़क रहे हैं. देश की सबसे बड़ी हॉस्पिटल चेन मैक्स हेल्थकेयर का शेयर 2 दिन में लगभग 16 फीसदी नीचे चला गया है. अपोलो हॉस्पिटल्स में भी 1.43 फीसदी, मेदांता 4.82 फीसदी, कृष्णा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में 3.81 फीसदी और फोर्टिस हेल्थकेयर 4.57 फीसदी गिरावट का शिकार हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा फीस की दरें तय करने के संभावित फैसले के डर से निवेशकों ने इन स्टॉक से दूरी बना ली है.</span></p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>सेक्टर में क्यों आ रही यह बड़ी गिरावट</strong></h3>
<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">दरअसल, हेल्थकेयर सेक्टर के शेयरों के प्रति निवेशकों का यह डर सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका के चलते पैदा हुआ है. इसमें मांग की गई है कि क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 2012 के अनुसार मरीजों से ली जाने वाली फीस की दरें निर्धारित की जाएं. इस एक्ट में अनिवार्य प्रावधान है कि केंद्र सरकार अस्पतालों की फीस तय करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ तालमेल करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव को फटकार लगाते हुए 6 हफ्ते के अंदर प्रस्ताव तैयार करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ काम करने का निर्देश दिया है. </span></p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>12 साल पहले बना नियम नहीं हुआ लागू</strong><span style="font-weight: 400;"> </span></h3>
<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि हॉस्पिटल की सेवाओं के रेट आखिर क्यों तय नहीं किए जा रहे. यह एक्ट 12 साल पहले बन गया था. इसके बावजूद आज तक इसे लागू करने की कोशिश नहीं की गई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगल केंद्र सरकार ने इस बारे में प्रस्ताव नहीं दिया तो वह लोगों को राहत देते हुए सभी प्राइवेट हॉस्पिटल में सीजीएचएस की दरें लागू कर देंगे. </span></p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>घाटे में आ सकते हैं प्राइवेट अस्पताल </strong></h3>
<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">यदि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़े नियम बना दिए तो प्राइवेट हॉस्पिटल पर गाज गिरना तय है. विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि यदि सीजीएचएस दरें लागू की जाती हैं तो लगभग सभी अस्पताल एबिटा के लिहाज से नकारात्मक स्थिति यानी घाटे में आ जाएंगे. सेवाओं के एक समान रेट के नियम का पालन करना थोड़ा मुश्किल है. हर जगह अलग तकनीक और क्वालिटी की सेवाएं दी जाती हैं. यदि ऐसा नियम आता है तो किम्स, यथार्थ, नारायण, मैक्स और फोर्टिस जैसे अस्पतालों के शेयरों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना तय है. </span></p>
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