What is Digital Dimentia know its symptoms and cure child healthcare tips
Digital Dementia: आज कल की इस डिजिटल दुनिया में लोगों के रोजमर्रा का एक बड़ा हिस्सा स्क्रीन पर खर्च हो रहा है. लोग घंटों अपने फोन, टीवी या लैपटॉप की स्क्रीन पर समय बीता रहे हैं. बच्चे अब मैदानों से सिमट कर फोन की स्क्रीन तक आ गए हैं. खाने से लेकर पढ़ाई तक, एंटरटेनमेंट से लेकर बात करने तक बच्चे तेजी से मोबाइल के आदि हो चुके हैं. जिससे कि बच्चों में डिजिटल डिमेंशिया का खतरा काफी बढ़ने लगा है.
आइए जानते हैं कि ये नई बीमारी आखिर है क्या-
क्या होता है डिजिटल डिमेंशिया
डिजिटल डिवाइस जैसे कि फोन, कंप्यूटर, लैपटॉप, इंटरनेट वगैरह ज्यादा यूज करने से दिमाग की क्षमता कम होती है. लोग भूलने लगते हैं, चीजें याद नहीं रहती, सामान कहीं रखते हैं, ढूढ़ते कहीं है और प्रोडक्टिविटी भी कम होती चली जाती है, इसी को डिजिटल डिमेंशिया कहते हैं.
बच्चों को डिजिटल डिमेंशिया से कैसे बचाएं
- बच्चों की स्क्रीन टाइम को घटाने की कोशिश करें. फोन पर समय बीताने के बजाए कोशिश करें कि बच्चे खेल के मैदान में ज्यादा दिखें.
- लिखने के लिए मोबाइल, लैपटॉप पर निर्भर रहने के बजा कॉपी-कलम का इस्तेमाल करें.
- बच्चों के नया स्किल सीखने के लिए प्रोत्साहित करें, जैसे कि नई भाषा, नया डांस, नई म्यूजिक, नया गेम.
- ज्यादा देर बैठे-बैठे फोन पर ही हर काम करते रहने से बच्चों में मोटापे जैसी बीमारियों के आसार भी बढ़ जाते हैं.
- अपने घर का वातावरण काफी अच्छा रखें. बच्चे अपने पैरेंट्स से काफी कुछ सीखते हैं. ऐसे में उनमें सोचने-समझने की शैली का विकास, किताबें पढ़ने जैसी आदत, बाहर घूमने की आदत आदि का विकास करें.
- बच्चों को पजल गेम्स खिलाएं. जिससे उनके दिमाग पर जोर पड़ेगा और उनकी बुद्धि का भी विकास होगा. बच्चों में एक्सरसाइज करने की आदत का विकास करें.
- बच्चों से बात करें, उन्हें समझें और समझाएं. ये भी महसूस कराएं कि रियल दुनिया और मोबाइल की रील दुनिया में कितना फर्क है.
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