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हर की पौड़ी – गौ घाट क्षेत्र में गंगा का बहाव सूना – श्रद्धा और आस्था को पड़ रहा रोना

हरिद्वार से लौटकर डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर । प्रतिदिन कल कल बहती, श्रद्धा के भाव लुभाती गंगा, सनातन आस्था की केंद्र गंगा, भागीरथी गंगा इन दिनों हरिद्वार के मुख्य द्वार हर की पौड़ी, गौ घाट, कुशा घाट, रामघाट आदि स्थानों पर रीती होकर अत्यंत धीमी होगई है। नवरात्रि में पर्व का उत्साह और गंगा प्रवाह मोहक रहा इठलाती और उछलती मन व आंखों को सुकून देती अविरल बहती पर विजयादशमी के साथ ही व्यवस्था में हुए बदलाव से लगभग गंगा प्रवाह थमसा गया है।

इस प्रतिनिधि को रविवार – सोमवार को निर्मल और तीव्र विस्तारित गंगा प्रवाह दर्शन हुए, हजारों श्रद्धालुओं ने मनभाव से मनभर अपनी और परिजनों को याद कर डुबकी लगाई और दशहरे की रात से रुकी – रुकी सी होगई गंगा। गंग नहर थमने का प्रभाव हरिद्वार ही नही आगे डाम कोठी, ज्वालापुर के आगे भी रहा।

कई घंटों तक जल प्रवाह मामूली रहा फलस्वरुप देश के विभिन्न क्षेत्रों से हरिद्वार पहुंचे हजारों लोगों को निराशा हुई और ब्रह्मकुंड व आसपास में जैसे तैसे स्नान किया और कर्मकांड क्रियाओं को सम्पन्न कराया।

दृश्य आंखों देखा और पाया कि उथले – छिछले पानी और कीचड़ बीच सैंकड़ों पुरुषों के साथ महिलाओं और युवाओं बच्चों को घाटों के किनारे, दोनों ओर कुछ खोजते पाया। यह क्रम सुबह से रात और फिर रात से सुबह तक चल रहा है। स्थानीय लोगों द्वारा इस कीचड़ , उथली गंगा में हल्की गहरी खुदाई कर जेवरात , सिक्के , मूल्यवान वस्तुओं को खोजा जारहा है। कई लोगों को कीमती धातुओं के अलावा सिक्के, सिल्वर, गोल्ड, ब्रॉन्ज सहित मैटल आभूषण , आर्टिकल्स मिले भी हैं। देखने में आया कि लगातार एरिया बांटकर पुरूष और महिलाएं इस खोज में जुटे हुए हैं।

श्रद्धालुओं के भाव रहते हैं और हरिद्वार गंगा तट पहुंच कर दर्शन कर सिक्के, आभूषण, जेवरात, कीमती वस्तु गंगा में न्यौछावर करते हैं अर्पित करते हुए अपने को धन्य मानते आए हैं। यही वजह है कि गंग नहर प्रवाह थमने पर लोकल लोगों द्वारा इन वस्तुओं , जेवरात , सिक्कों को ढूंढ कर एकत्र किया जा रहा है। इस मौके पर छोटी मोटी लड़ाई भी हो जा रही है।

इधर शासकीय रूप से यह व्यवस्था प्रतिवर्ष इन धर्म क्षेत्रों में गंगा प्रवाह निश्चित अवधि के लिए नियंत्रित किया जाता है । उसी कड़ी में हरिद्वार के भीमगोड़ा बैराज से गंग नहर में पानी छोड़ा जाता है इस नहर के जल से हर की पौड़ी, गौ घाट, कुशा घाट, से आगे दक्ष मंदिर, कनखल और आगे पश्चिमी उत्तरप्रदेश से लेकर कानपुर तक परम्परागत रूप से सिंचाई होती है वहीं धर्म और आस्था क्षेत्रों में निरंतर गंगा जल प्रवाहित होता रहता है।

सिंचाई विभाग अभियंता के मुताबिक गंग नहर के माध्यम से न्यूनतम 50 क्यूसेक जल छोड़े जाने का अनुबंध है इसकी व्यवस्था की जारही है ताकि प्रातःकालीन और सायंकालीन आरती, क्रिया कर्म स्नान आदि मुख्य घाटों पर हो सके। विभाग का कहना है कि गंग नहर जल प्रदाय रोके जाने की अवधि में घाटों की साफ़ सफाई, मरम्मत, रंग रोगन आदि की जाना है। यह वार्षिक नहर बंदी की गई है जो आगामी 20 दिनों तक रहेगी। भीमगोडा बैराज के आठ गेट भी बदले जाने हैं। बैराज गेट के कारण हर की पौड़ी, ब्रह्मकुंड, गौ घाट पर जल प्रवाह में दिक्कतें आ रही है। इसे जल्द ठीक कर रहे हैं। निश्चित जल राशि छोड़ने से परेशानी है यह 12 नवम्बर दीपावली के आसपास व्यवस्था पुरी तरह से ठीक होगी।

इधर श्री गंगा महासभा महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने कहा कि प्रशासन ने आश्वस्त किया था कि जल प्रवाह में रुकावट नहीं होगी पर दो दिनों में ही समस्या उभर गई है तत्काल समाधान किया जाये।

हजारों देशी और विदेशी हरिद्वार प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। गंगा आरती, हर की पौड़ी स्नान, कर्म कांड क्रियाओं पर सदियों से आस्था जुड़ी है पर यह इन दिनों प्रभावित हो रही है। कई उदास हो गये हैं।

मध्यप्रदेश राजस्थान मालवा मेवाड़ क्षेत्र के तीर्थ पुरोहित पंडित सुमित शर्मा कुड़ीवाले ने कहा कि प्रशासन और विभाग को आस्था और श्रद्धा से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। आवश्यक रूप से हरकी पौड़ी, ब्रह्मकुंड, गौ घाट, कुशा घाट, रामघाट आदि क्षेत्रों में कम से कम तीन फीट जल संग्रह रहे, जल प्रवाहित होता रहे ताकि देश दुनिया के श्रद्धालु मान्यता अनुसार क्रियाओं को सम्पन्न कर सकें। वर्तमान में उथला गन्दा गंगा का पानी आगन्तुकों के मनोभावों को भी प्रभावित कर रहा है। कम से कम स्नान ध्यान कर्मकांड मुख्य घाटों पर अबाध हो यह व्यवस्था तो होना चाहिए।

नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अंतर्गत कई वर्षों से गंगा के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में कार्य किया जारहा है पर हरिद्वार में गुरुवार – शुक्रवार को प्रदूषित गंगा का नजारा देखने में आया।

हजारों तीर्थ यात्रियों का प्रतिदिन आवागमन हरिद्वार में पूरे वर्ष रहता है। सैलानियों की भी बड़ी संख्या में आवाजाही है। नगर निगम, उत्तराखंड सरकार को बड़ी मात्रा में राजस्व आय हो रही है इसके बाद भी प्रदूषण, गंदगी, कचरे के ढेर लगे पड़े हैं। पर्याप्त इंतजाम नहीं पाए। कनखल, बड़ा बाजार, मनसादेवी घाटी मार्ग, सप्त सरोवर क्षेत्र,दक्ष प्रजापति मंदिर सड़क, शान्ति कुंज समीप, चिन्मयानंद आश्रम बाहर रेलवे स्टेशन बाहर, मंदिरों के बाहर, नालियों में कचरा भरा पड़ा है। दोपहर तक मुख्य मार्ग से कचरा नहीं उठाया गया।

यात्रियों का कहना है कि नगर निगम को साफ़ सफाई के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करना चाहिए तभी स्वच्छ भारत का नारा बुलंद होगा। पर्यटकों को इस पसरी हुई गंदगी के चलते अच्छा संदेश नहीं जारहा है।

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