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RBI Repo Rate Remained Unchanged Banks Continues To Offer Higher Rates On Fd Scheme No Relief For Home Loan Borrowers

RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक ने मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की तीन दिवसीय बैठक के बाद एक बार फिर ब्याज दरों को स्थिर (RBI Repo Rate Unchanged) रखने का फैसला किया है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor  Shaktikanta Das)  ने शुक्रवार को नीतिगत दर रेपो रेट को 6.50 फीसदी स्तर पर बनाए रखने का ऐलान किया. आरबीआई के रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव न करना एफडी स्कीम में निवेश करने वालों के लिए राहत भरी खबर है, क्योंकि उन्हें फिक्स्ड डिपॉजिट पर ज्यादा ब्याज दर का लाभ मिलता रहेगा. वहीं दूसरी ओर लोगों को फिलहाल महंगे कर्ज से राहत नहीं मिलने वाली है.

बैंक एफडी स्कीम पर ऑफर करते रहेंगे ज्यादा ब्याज दर

मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच देश में महंगाई को कंट्रोल करने के लिए रिजर्व बैंक ने कुल 2.5 फीसदी तक रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी. इसके बाद से यह 6.5 फीसदी की दर पर स्थिर बनी हुई है. रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद से ही ज्यादातर बैंक एफडी स्कीम में अधिक ब्याज दर ऑफर कर रहे हैं. यह दरें पिछले 3 से 4 साल में उच्चतम है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक आरबीआई के इस फैसले के बाद से ग्राहकों को 2 से 3 साल की अवधि की एफडी पर अधिक ब्याज दर का लाभ मिल रहा है. रेपो रेट में किसी तरह के बदलाव व होने के बाद आगे भी बैंक इस अवधि में ग्राहकों को अधिकतम ब्याज दर का ऑफर जारी रख सकते हैं.

लोन लेने वालों को नहीं मिली राहत

आरबीआई के रेपो रेट को स्थिर रखने के फैसले के बाद से कर्ज लेने वाले लोगों को किसी तरह की राहत नहीं मिली है. ध्यान देने वाली बात ये है कि बढ़ी हुई रेपो रेट का असर सीधे तौर पर होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन लेने वाले ग्राहकों पर पड़ता है. ऐसे में अगर आप इस फेस्टिव सीजन घर या कार लेने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको फिलहाल उच्च ब्याज दर पर ही लोन लेना होगा. मई 2022 में आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी का ऐलान किया था. तब से लेकर अब तक ब्याज दरों में 2.50 फीसदी तक की बढ़ोतरी की जा चुकी है. ऐसे में इन दरों का असर सीधे तौर पर कर्ज लेने वालों पर पड़ा है साल 2023 के फेस्टिव सीजन में भी यह जारी रहेगा.

RBI अपना रहा यह नीति

पिछले लंबे वक्त से रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों को कम करने का दबाव बढ़ रहा है ताकि इकोनॉमी को सपोर्ट मिल सके, लेकिन वैश्विक और घरेलू स्थिति को मद्देनजर रखते हुए आरबीआई फिलहाल वेट एंड वॉच की रणनीति अपना रहा है. पिछले लंबे वक्त से वैश्विक मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की जा रही थी और यह बढ़कर 90 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था. कच्चे तेल के दाम में इजाफे का असर पूरी दुनिया की महंगाई पर पड़ता है. वहीं दुनिया के अन्य सेंट्रल बैंकों की बात करें तो फिलहाल किसी भी बैंक ने ब्याज दरों को कम करने का फैसला नहीं किया है.

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