Kargil Vijay Diwas 2021: करगिल दिवस की वो 7 बातें जो आपको जरूर जाननी चाहिये


हाइलाइट्स

  • जानें कारगिल विजय दिवस से जुड़ी खास बातें
  • कौन-से विमानों का हुआ था इस्तेमाल?
  • जानें कैसे हुई शुरुआत

Kargil Vijay Diwas Important Things To Know: कारगिल युद्ध मई-जुलाई 1999 के बीच जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर लड़ा गया था जिसमें भारत को जीत मिली थी। इसलिए यह दिन कारगिल युद्ध के शहीद जवानों को समर्पित है। कारगिल विजय दिवस घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों पर भारतीय सैनिकों की जीत के उपलक्ष्य में 26 जुलाई को मनाया जाता है। इस साल कारगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ है।

क्या था मुख्य उद्देश्य?
कारगिल युद्ध जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ हुआ था। पाकिस्तान की सेना ने इस इलाके पर कब्जा करने के लिए सर्दियों में घुसपैठियों के नाम पर अपने सैनिकों को भेजा था। उनका मुख्य उद्देश्य लद्दाख और कश्मीर के बीच संबंध तोड़ना और भारतीय सीमा पर तनाव पैदा करना था। आपको बता दें कि उस समय घुसपैठिए शीर्ष पर थे जबकि भारतीय ढलान पर थे और इसलिए उनके लिए हमला करना आसान था। अंत में दोनों पक्षों के बीच युद्ध छिड़ गया। पाकिस्तानी सैनिकों ने नियंत्रण रेखा को पार कर भारत के नियंत्रण वाले क्षेत्र में प्रवेश किया। क्या आप जानते हैं कि कारगिल 1947 में भारत के विभाजन से पहले लद्दाख के बाल्टिस्तान जिले का हिस्सा था और पहले कश्मीर युद्ध (1947-1948) के बाद LOC द्वारा अलग किया गया था।

‘ऑपरेशन विजय’
3 मई 1999 को पाकिस्तान ने यह युद्ध तब शुरू किया जब उसने लगभग 5000 सैनिकों के साथ कारगिल के चट्टानी पहाड़ी क्षेत्र में उच्च ऊंचाई पर घुसपैठ की और उस पर कब्जा कर लिया। जब भारत सरकार को इसकी जानकारी मिली तो भारतीय सेना द्वारा घुसपैठियों को वापस खदेड़ने के लिए ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया गया था, जिन्होंने विश्वासघाती रूप से भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। आपको बता दें कि 1971 में यानि कारगिल युद्ध से पहले भारत और पाकिस्तान ने एक ऐसा युद्ध लड़ा था जिसकी वजह से एक अलग देश यानी बांग्लादेश का गठन हुआ था।
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कारगिल युद्ध से पहले का परिदृश्य
क्या आप कारगिल युद्ध से पहले का परिदृश्य जानते हैं? 1998-1999 में सर्दियों के दौरान, पाकिस्तानी सेना ने गुप्त रूप से सियाचिन ग्लेशियर पर दावा करने के लक्ष्य के साथ इस क्षेत्र पर हावी होने के लिए कारगिल के पास सैनिकों को प्रशिक्षण और भेजना शुरू कर दिया। इसके अलावा, पाकिस्तानी सेना ने कहा कि वे पाकिस्तानी सैनिक नहीं बल्कि मुजाहिदीन थे। दरअसल, पाकिस्तान इस विवाद पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान चाहता था ताकि भारतीय सेना पर सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र से अपनी सेना वापस लेने और भारत को कश्मीर विवाद पर बातचीत करने के लिए मजबूर करने का दबाव बनाया जा सके।

युद्ध के पीछे की कहानी
1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद कई सैन्य संघर्ष हुए हैं। दोनों देशों ने 1998 में परमाणु परीक्षण किए थे जिससे तनाव और बढ़ गया था। फरवरी 1999 में स्थिति को शांत करने के लिए, दोनों देशों ने लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कश्मीर संघर्ष का शांतिपूर्ण और द्विपक्षीय समाधान प्रदान करने का वादा किया गया था।

क्या था पाकिस्तान का मानना
लेकिन क्या हुआ कि पाकिस्तानी सशस्त्र बलों ने अपने सैनिकों और अर्धसैनिक बलों को नियंत्रण रेखा के पार भारतीय क्षेत्र में भेजना शुरू कर दिया और घुसपैठ का कोड-नाम “ऑपरेशन बद्र” रखा गया। क्या आप जानते हैं कि इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और सियाचिन ग्लेशियर से भारतीय सेना को वापस बुलाना था? साथ ही, पाकिस्तान का मानना था कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का तनाव पैदा करने से कश्मीर मुद्दे को एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी, जिससे उसे एक त्वरित समाधान प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
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भारतीय वायुसेना ने किया इन विमानों का इस्तेमाल
भारतीय वायुसेना ने जमीनी हमले के लिए मिग-2आई, मिग-23एस, मिग-27, जगुआर और मिराज-2000 विमानों का इस्तेमाल किया। मुख्य रूप से, जमीनी हमले के सेकंडरी रोल के साथ हवाई फायर के लिए मिग -21 का निर्माण किया गया था। जमीन पर टारगेट हमला करने के लिए मिग-23 और 27 को ऑप्टिमाइज किया गया था। पाकिस्तान के कई ठिकानों पर हमले हुए. इसलिए, इस युद्ध के दौरान ऑपरेशन सफेद सागर में IAF के मिग -21 और मिराज 2000 का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया था।

रॉकेट और बमों का हुआ इस्तेमाल
इस युद्ध में बड़ी संख्या में रॉकेट और बमों का प्रयोग किया गया था। करीब दो लाख पचास हजार गोले, बम और रॉकेट दागे गए। लगभग 5000 तोपखाने के गोले, मोर्टार बम और रॉकेट 300 बंदूकें, मोर्टार और एमबीआरएल से प्रतिदिन दागे जाते थे, जबकि 9000 गोले उस दिन दागे गए थे जिस दिन टाइगर हिल को वापस लाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह एकमात्र युद्ध था जिसमें दुश्मन सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी। अंत में, भारत ने एक जीत हासिल की।

यह कहना गलत नहीं होगा कि युद्ध कभी अच्छा नहीं होता। इससे दोनों पक्षों को बड़ा नुकसान होता है, हजारों सैनिक शहीद हो जाते हैं। भारत एक शांतिप्रिय देश है जो युद्ध में विश्वास नहीं करता है। भारतीय सेना हमेशा विदेशी ताकतों से देश की रक्षा करती है, मातृभूमि के लिए बलिदान देती है और हमें गौरवान्वित करती है।



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