देश की प्रमुख जांच एजेंसी का अदालत में चौंकाने वाला कबूलनामा, जानें पूरा मामला
दाऊद इब्राहिम से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने अदालत को सूचित किया कि हसीना पारकर को नवाब मलिक द्वारा कथित रूप से भुगतान की गई 55 लाख नहीं बल्कि 5 लाख थी। पिछली रिमांड याचिका में उनसे (ईडी) टाइपिंग मिस्टेक हो गई थी।
महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक को विशेष पीएमएलए अदालत ने 7 मार्च तक दोबारा प्रवर्तन निदेशालय की कस्टडी में भेज दिया है। बता दें कि, नवाब मलिक को दाऊद इब्राहिम से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 23 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उन्हें 3 मार्च तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया था।
आज नवाब मलिक की हिरासत ख़त्म होने वाली थी, जिसकी वजह से प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें दोबारा अदालत के सामने पेश किया था। ईडी का नवाब मलिक पर आरोप है कि उन्होंने भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के परिवार के सदस्यों से कथित तौर पर संपत्ति का सौदा किया था। इसके अलावा उन पर अंडरवर्ल्ड से जुड़े लोगों से संबंध रखने के भी आरोप हैं।
नवाब मलिक को बीती 23 फरवरी को दक्षिण मुंबई में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कार्यालय में करीब पांच घंटे तक पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया था। गुरुवार को नवाब मलिक की रिमांड की समाप्ति पर विशेष अदालत के न्यायाधीश आरएन रोकाडे के समक्ष पेश किया गया। जिसके बाद अदालत ने मामले की आगे की जांच के लिए मलिक की हिरासत को सात मार्च तक बढ़ा दिया है।
नवाब मलिक की हिरासत को बढ़ाते हुए अदालत ने कहा कि मलिक 25 से 28 फरवरी अस्पताल में थे और जांच के दौरान नए तथ्य भी सामने आए हैं। ऐसे में आरोपी मलिक के बयानों को दर्ज करने के लिए आगे की हिरासत में भेजा जा रहा है। ईडी का नवाब मलिक पर यह भी आरोप था कि उन्होंने दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर से भी एक जमीन खरीदी थी।
ईडी की तरफ से बताया गया था कि नवाब मलिक ने हसीना पारकर को करीब 55 लाख का भुगतान किया था। लेकिन आज अदालत में प्रवर्तन निदेशालय ने सूचित किया कि हसीना पारकर को नवाब मलिक द्वारा कथित रूप से भुगतान की गई 55 लाख रुपये की राशि को 5 लाख रुपये के रूप में पढ़ा जाना चाहिए, क्योंकि पिछली रिमांड याचिका में ‘टाइपिंग मिस्टेक’ हो गई थी।
इन सबके बीच महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक पर लगातार शिकंजा कसता जा रहा है। अदालत में मलिक की आगे की हिरासत को लेकर ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने पक्ष रखा, जबकि मलिक की ओर से अमित देसाई और तारक सैय्यद ने पैरवी की।