LIC IPO news: रूस-यूक्रेन जंग ने बिगाड़ा निर्मला सीतारमण का बजट, टल सकता है देश का सबसे बड़ा आईपीओ


हाइलाइट्स

  • रूस-यूक्रेन लड़ाई से शेयर बाजारों में भारी उथलपुथल
  • इससे टल सकता है बीमा कंपनी LIC का आईपीओ
  • सरकार ने इसे मार्च में लाने की योजना बनाई थी
  • इससे सरकार विनिवेश लक्ष्य से रह सकती है कोसों दूर

नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई से दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी उथलपुथल देखने को मिल रही है। इससे देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी (LIC) का आईपीओ (IPO) टल सकता है। सरकार ने मार्च में इसे लाने की योजना बनाई थी लेकिन जानकारों का कहना है कि बाजार की मौजूदा स्थितियों को देखते हुए इसे अगले वित्त वर्ष के लिए टाला जा सकता है।

एलआईसी ने कंपनी में पांच फीसदी सरकारी हिस्सेदारी बेचने के लिए 13 फरवरी को मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) के पास दस्तावेज जमा कराए थे। एक अधिकारी ने यूक्रेन संकट और इससे दुनियाभर के बाजारों में आई उथलपुथल का हवाला देते हुए कहा कि एलआईसी के आईपीओ के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है और सरकार इसके लिए तैयार है। लेकिन यूक्रेन में चल रही लड़ाई को देखते हुए इसकी समीक्षा की जरूरत है।

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कितने में मिलेगा शेयर
एलआईसी के इश्यू में शेयर कितने में मिलेगा, अभी इसका फैसला नहीं हुआ है। कुछ अनुमानों के मुताबिक इस इश्यू का आकार 63,000 करोड़ रुपये का हो सकता है। ऐसी स्थिति में इतनी बड़ी बिक्री में मुश्किल आ सकती है। सेंसेक्स जनवरी के मध्य में 61,000 अंक से ऊपर चला गया था लेकिन उसके बाद से इसमें करीब 10 फीसदी गिरावट आई है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सरकार रोडशो और संभावित एंकर निवेशकों के साथ बातचीत जारी रखेगी।

सरकार इस आईपीओ के लिए आबू धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) और Govt of Singapore Investment Corp जैसे एंकर निवेशकों को साधने की उम्मीद कर रही है। अधिकारी ने कहा कि इस हफ्ते और अगले सप्ताह कुछ सॉवरेन फंड्स के साथ रोडशो होने हैं। सरकार इस मामले में सभी पक्षों से बात कर रही है। इनमें इश्यू को मैनेज कर रहे मर्चेंट बैंक भी शामिल हैं। ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक इस इश्यू के जरिए 31.62 करोड़ तक इक्विटी शेयर बेचे जाएंगे।

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विनिवेश लक्ष्य से कोसों दूर
सरकार ने पहले वर्ष 2021-22 के दौरान विनिवेश से 1.75 लाख रुपये जुटाने का अनुमान लगाया था लेकिन बाद में इसे संशोधित कर 78,000 करोड़ रुपये कर दिया गया। सरकार एलआईसी में हिस्सेदारी बेचकर 63,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद कर रही थी। अगर यह आईपीओ अगले वित्त वर्ष के लिए टलता है तो इससे सरकार विनिवेश लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भी यूक्रेन में चल रही लड़ाई को देखते हुए एलआईसी के आईपीओ की समीक्षा किए जाने के संकेत दिए थे।

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