दिल्ली दंगेः मैंने हिंदुत्व समर्थकों के खिलाफ बोला, तभी मुझे बनाया गया पार्टी, जानिए बांबे HC के रिटायर्ड जस्टिस बोले- ये दुर्भाग्यपूर्ण कदम



मुंबईः सुप्रीम कोर्ट ने जब जज लोया की मौत के मामले में जाच की मांग के लिए दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया तो जस्टिस पाटिल ने जज लोया की मौत को संदिग्ध बताया था।

दिल्ली दंगे के मामले में हाईकोर्ट ने बांबे हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस कोलसे पाटिल को भी नोटिस भेजा है। पाटिल से इसे दुर्भाग्यपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि उन्हें केवल इस वजह से मामले में घसीटा जा रहा है, क्योंकि सीएए विरोधी प्रदर्शन के बाद उन्होंने हिंदुत्व समर्थकों के खिलाफ काफी बातें खुलकर कही थीं। हाईकोर्ट ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को 2020 में हुए दंगों के मामले में नोटिस भेजा है।

बार एंड बेंच को उन्होंने बताया कि इससे पहले दिल्ली दंगे से जुड़ी फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने उन्हें बुलाया था। वो वहां गए और हेमंत करकरे वाला तरीका अपनाया। करकरे मानते थे कोई मुस्लिम दूसरे मुसलमान को चोट नहीं पहुंचा सकता। वो उसकी प्रापर्टी को आग के हवाले नहीं कर सकता। पाटिल का कहना था कि सीएए प्रदर्शन के बाद वो दिल्ली गए थे। तब उन्होंने खुलकर धरना दे रही महिलाओं की सराहना की थी।

जस्टिस पाटिल पहले स्कूल टीचर थे। नौकरी के दौरान ही उन्होंने लॉ की डिग्री हासिल की और 1985 में बांबे हाईकोर्ट के जज बने। उन्होंने रिटायर होने से पहले ही नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और सामाजिक सेवा करने लगे। फिलहाल वो जनता दल सेकुलर के महाराष्ट्र सचिव हैं। 1990 में उन्होंने इस्तीफा दिया।

विवादास्पद मामलों में मुखर होना उनका शगल रहा है। बात चाहें भीमा कोरेगांव मामले की हो या फिर जस्टिस लोया की आकस्मिक मौत। सुप्रीम कोर्ट ने जब जज लोया की मौत के मामले में जाच की मांग के लिए दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया तो जस्टिस पाटिल ने जज लोया की मौत को संदिग्ध बताने के साथ कहा था कि उन्हें यह जानकारी मिली थी कि जज लोया को इस मामले में सरकार के पक्ष में फैसला देने के लिए 100 करोड़ रुपये ऑफर किए गए थे।

सुप्रीम कोर्ट के लोया मौत मामले की याचिका को खारिज करने पर पाटिल ने कहा कि उन्हें लगता था कि भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में आज का दिन सबसे बुरे दिन के तौर पर याद किया जाएगा। सारे दस्तावेज हैं, कम से कम उनकी जांच होनी चाहिए थी। मांग क्या थी कि इस मौत की जांच हो।

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