महंगा है बाजार?
अक्सर जब बाजार नए शिखर पर पहुंचता है तो निवेशकों में एक जोश दिखता है। तब नए निवेशक बड़ी संख्या में बाजार से जुड़ते हैं, लेकिन इस बार यह जोश नहीं दिख रहा। उसकी वजह यह है कि मिड और स्मॉल कैप सेग्मेंट में सेंसेक्स और निफ्टी जैसी तेजी नहीं आई है। अक्सर छोटे निवेशकों का अधिक पैसा इन्हीं शेयरों में लगा होता है। वैसे, सेंसेक्स और निफ्टी के नए रेकॉर्ड लेवल पर पहुंचने का एक असर यह भी हुआ है कि इनका वैल्यूएशन दूसरे इमर्जिंग मार्केट्स की तुलना में अधिक हो गया है। इसलिए आने वाले वक्त में इसमें बहुत तेजी आने की उम्मीद नहीं है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अभी जो दबाव दिख रहा है, उससे भी आने वाले वक्त में इस पर लगाम लगेगी। हाल में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत से पैसा निकालकर चीन जैसे देशों में लगा रहे हैं, जहां मार्केट का वैल्यूएशन कम है। लेकिन चीन में इन दिनों जीरो कोविड पॉलिसी को लेकर जिस तरह से विरोध हो रहा है, उससे विदेशी निवेशक जरूर मायूस हुए होंगे। ऐसे में अगर भारत में जीडीपी ग्रोथ तेज बनी रहती है, कच्चा तेल और सस्ता होता है और डॉलर में कमजोरी आती है तो उनकी दिलचस्पी यहां फिर से बढ़ सकती है। इन सबके बीच, अगर यूक्रेन युद्ध खत्म होता है और अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी रुकती है तो भारतीय बाजार के और अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद बढ़ जाएगी।